‘आसा’ (एसोसिएशन फॉर स्टडी एंड एक्शन) बिहार के प्रबुद्ध नागरिकों और संघर्षशील समाजसेवियों का एक अग्रणी मंच है,जो देश और समाज के विभिन्न समकालीन सामाजिक,आर्थिक, राजनीतिक मुद्दों के अध्ययन-मूल्यांकन और संविधान के आमुख में वर्णित आदर्शों-आकांक्षाओं को हासिल करने के मार्ग में खड़ी बाधाओं को दूर करने की व्यापक समझ विकसित करने के लिए लिए लगातार विमर्श और हस्तक्षेप करता रहा है.
पिछले दिनों भारत सरकार के द्वारा जारी भूमि
अधिग्रहण बिल और फिर नयी शिक्षा नीति के विमर्श पत्र पर ‘आसा’ ने बिहार और झारखंड
के विभिन्न जिलों में जीवंत विमर्श सभाओं का आयोजन किया. नयी शिक्षा नीति के
निर्माण के लिए गठित सुब्रह्मण्यम समिति को, बिहार में केवल ‘आसा’ ने ही, सम्पूर्ण
विमर्श पत्र पर अपने 52 पृष्ठों का सुझाव सौपा.
इधर
बिहार में पंचायत चुनाव संपन्न हो जाने के बाद ‘आसा’ के द्वारा चुने हुए पंचायत के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर आदर्श
पंचायत के विकास और निर्माण में सहयोग प्रदान करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया
गया. इस योजना को कार्यरूप देने के लिए विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक समिति
बनायी गयी. इस समिति ने ‘आसा’ का पंचायत दृष्टिकोण पत्र और कार्ययोजना तैयार की.
इस पत्र में माना गया कि जब तक राजकाज में जन-जन की भागीदारी नहीं होगी, तब तक
सच्चे लोकतंत्र का स्वरूप नहीं उभर सकता है. पंचायतों के सशक्तिकरण के द्वारा ही सामाजिक,
आर्थिक, सांस्कृतिक समस्याओं का लोकतांत्रिक समाधान ढूँढा जा सकता है.
पंचायत
चुनाव की प्रक्रियाओं की समाप्ति के उपरान्त ‘आसा’ के सदस्य अपने इसी
महत्त्वाकांक्षी अभियान पर स्थानीय संस्था ‘समुदाय’ के सहयोग से रोसड़ा पहुँचे. ‘आसा’
के संस्थापक तथा बिहार सरकार में भूमि सुधार एवं राजस्व तथा आपदा प्रबंधन के
प्रधान सचिव माननीय व्यास जी की अध्यक्षता में संचालित कार्यशाला में समस्तीपुर
जिले के विभिन्न पंचायतों के 36 पंचायत प्रतिनिधि शामिल हुए.
श्रीमती
कल्पना शास्त्री के स्वागत संबोधन के उपरान्त मो. ग़ालिब के द्वारा ‘आसा’ का
संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया गया. कार्यशाला का आरम्भ करते हुए श्री व्यास जी ने
उसके स्वरूप पर प्रकाश डाला. उन्होंने इस कार्यशाला के उद्देश्य को स्पष्ट करते
हुए बताया कि हमलोग आपके सहयोगी की भूमिका निभाना चाहते हैं. हमलोग चाहते हैं कि
आप बताएँ कि अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि होने के नाते आप अपनी पंचायत में क्या करना
चाहते हैं, जिससे उसकी समस्याएँ दूर होने के साथ ही वह आदर्श पंचायत के रूप में
स्थापित हो सके. अर्थात एक आदर्श पंचायत के रूप में आप अपनी पंचायत को किस तरह
देखना चाहते हैं.
विभिन्न
उत्साही प्रतिनिधियों के द्वारा अपने क्षेत्र में एक साल की जो कार्ययोजना
प्रस्तुत की गयी, उसमें अनेक बिंदु उभरकर आये. प्रमुखता के आधार पर पंचायत
प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्र में हर टोले तक और प्रत्येक घर तक पक्के पहुँच
पथ के निर्माण तथा प्रत्येक घर में शौचालय के निर्माण पर काम करना चाहा. अन्य
प्राथमिकताओं में अपनी पंचायत में स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की आवश्यकता और
उसके लिए प्रयास किये जाने की बात उभर कर सामने आयी. जब स्वास्थ्य केंद्र की बात
होने लगी तो अनेक प्रतिनिधियों ने, विशेषकर महिला प्रतिनिधियों ने, स्वास्थ्य
केन्द्रों पर महिला चिकित्सक की आवश्यकता पर बल दिया. महिला प्रतिनिधियों ने
गर्भवती महिलाओं की उचित चिकित्सकीय देखभाल, संस्थागत प्रसव की सुनिश्चितता एवं
प्रसवोपरांत जच्चा-बच्चा की उचित देखभाल की बात के साथ ही ससमय टीकाकरण के संकल्प
को प्रमुखता से उठाया. अनेक प्रतिनिधियों ने आंगनबाड़ी केंद्र की सुचारुता और
गुणवत्तापूर्ण अनिवार्य शिक्षा के लिए प्राणपण से काम करने के संकल्प की बात की.
इसी तरह हर घर के लिए स्वच्छ पानी, हर घर को बिजली, हर खेत को पानी, प्रत्येक
परिवार को घर, लड़कियों के लिए अलग से खेल का मैदान, पंचायत में ही 12वीं तक की
शिक्षा की सुनिश्चितता, नशामुक्ति, पर्चाधारियों को जमीन पर कब्जा, पुस्तकालय के
निर्माण, पंचों के लिए न्याय भवन, महिला हिंसा पर रोक, बाढ़ नियंत्रण के उपाय, पानी
निकासी के उपाय, वृक्षारोपण मनरेगा की सुचारुता, मजदूरों के लिए सभी योजनाओं का
क्रियान्वयन, रोजगार सृजन के प्रयास, मजदूरों के पलायन पर रोक, बाल मजदूरी की
समाप्ति, सामाजिक सद्भाव की स्थापना आदि अनेक क्षेत्रों में काम करने और बदलाव
लाने के प्रति अपना उत्साह जाहिर किया गया.
पंचायत
प्रतिनिधियों के साथ वार्ता के प्रसंग में सबसे रोचक बात यह रही की अनेक
नवनिर्वाचित प्रतिनिधि, जो प्रारम्भ में अपनी बात रख पाने में हिचकिचाहट महसूस कर
रहे थे, बाद में माहौल बन जाने पर उन्होंने भी मजबूती के साथ अपनी बात रखी.
मोतीपुर की मुखिया श्रीमती परमा देवी प्रारम्भ में, अनेक प्रकार से प्रोत्साहित
करने के बाद भी, अपनी बात नहीं कह पायीं. लेकिन माहौल के सहज हो जाने के उपरान्त
वे स्वयं उठकर आयीं और स्पष्टता के साथ अपनी कार्ययोजना को प्रस्तुत किया. इस तरह
की बात अनेक प्रतिनिधियों के साथ हुई. इस तरह इस कार्यशाला में केवल पंचायत के
प्रति प्रतिनिधियों की कार्ययोजना और संकल्प ही उभर कर सामने नहीं आये, बल्कि समाज
के लोगों के सम्मुख प्रस्तुत होने और प्रस्तुति करने के रूप में उनका सशक्तिकरण भी
हुआ.
इस कार्यशाला
में रोसड़ा, रहुआ, विरहापुर, सोनुपुर, सौहारडीह, हिरुआ, मोतीपुर आदि पंचायतों के
श्री राजेन्द्र शर्मा, प्रवीण कुमार, श्याम नारायण मोची, फूलो पासवान, मो. खुरैश,
लाल बिहारी ठाकुर, प्रेमा देवी, नीलम गुप्ता, मीरा देवी, अनीता देवी, मिंकी
गुप्ता, अंजुमन खातून, हरिकांत झा, अरविन्द कुमार सिंह, विमला देवी, सुनील कुमार आदि
ने आदर्श पंचायत की अपनी संकल्पना, विचार और कार्ययोजना प्रस्तुत की.
प्रतिनिधियों
की संकल्पना और विचार की प्रस्तुति के बाद ‘आसा’ के सदस्यों में प्रो. नवल किशोर
चौधरी ने पंचायत की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्लेटो ने कहा
था कि जहाज़ों और पुलों का निर्माण करके क्या होगा, जब इंसानियत ही पिछड़ी हुई है.
इसलिए पंचायतें यह तय करे कि इंसानियत के निर्माण की दिशा में क्या करेगी. शिक्षा
के द्वारा ही व्यक्ति दोपाये जानवर से इंसान में तब्दील होता है. पहले हमलोग स्कूल
में पढ़ते हुए सामाजिक कार्य भी किया करते थे. इस तरह अपने गाँव-समाज के साथ जुड़ाव
उत्पन्न होता था. पंचायतों को यह तय करने की जरूरत है कि वे इस दिशा में क्या
करेंगी. आज के समय में जब सामुदायिकता टूट रही है, उस समय पंचायतों की भूमिका
महत्त्वपूर्ण हो जाती है. उन्होंने मुखिया प्रतिनिधियों को ललकारते हुए कहा अपील
की कि यदि आप पंचायतों को लोकतांत्रिक नहीं बना सकते तो सरकार पर क्या दवाब बन
सकेगा. इसलिए समाज को जोड़ने और समाज से जुड़ने की जरूरत है.
‘आसा’ के संयोजक डॉ. अनिल कुमार राय ने
पंचायत प्रतिनिधियों को उनके चयनित होने की बधाई देते हुए कहा कि त्रिस्तरीय
लोकतांत्रिक व्यवस्था में पंचायत अपने-आप में लघु गणतंत्र है. उसे लोकप्रशासन और
पंचायत के विकास के समस्त अधिकार प्राप्त हैं. उन्होंने उपस्थित प्रतिनिधियों का
आवाहन करते हुए कहा कि आप ही इस गणतंत्र की बुनियाद को मजबूत बना सकते हैं,
पंचायतों से ही इसकी शुरुआत हो सकती है.
भूदान यज्ञ समिति के अध्यक्ष श्री शुभमूर्ति
ने बताया कि आधुनिक भारत में पंचायती शासन की परिकल्पना गांधी जी की देन है.
उन्होंने विस्तार से पंचायत के बारे में गाँधी जी की अवधारणा को रखा और
प्रतिनिधियों से आदर्श पंचायत निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान किया.
‘आसा’ के साथी श्री अजय कुमार ने पंचायत में
विश्वास जगाने की बात रखते हुए कहा कि अगर हम पहले अपने दायित्व, कर्तव्य और उसके
बाद अधिकार की बात करते हैं तो अनेक समस्यायों का अंत आसानी से हो जाता है. जब
समाज को आपकी कर्तव्यशीलता का बोध हो जाएगा तो समाज में भी कर्तव्यबोध तेजी से
क्रियाशील हो जाएगा. समाज की इस सामाजिक भावना को जगाने की आज सबसे अधिक जरूरत है.
‘आसा’ की ओर से मो. अज़ीम, सुनील कुमार
सिन्हा, मो. इरफ़ान, बसंत कुमार मिश्रा, अमरकांत कुमार आदि ने भी संबोधित किया.
कार्यशाला का संचालन श्री जयप्रकाश ने किया, वहीँ श्री अजित कुमार ने प्रतिनिधियों
की आकांक्षाओं की समेकित प्रस्तुति की.
अंत में श्री व्यास जी ने अपने अध्यक्षीय
निष्कर्ष में समस्त परिचर्चा को समेटते हुए कहा कि अभी पंचायतों में भौतिक साधनों के विकास के साथ ही इंसान बनाने की बात हुई. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला
सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक विश्वास के माहौल के निर्माण पर बल देते
हुए कहा कि आप जब यहाँ से जाएँ तो इन बातों को आगे बढायें. उन्होंने आगामी
कार्ययोजना को प्रस्तुत करते हुए मुख्य रूप से चार बातें कहीं – ग्राम सभा आयोजित
करें, साल भर की कार्य योजना बनाएँ, सरकार से क्या मदद चाहिए यह बताएँ तथा ‘आसा’
आपकी क्या और किस तरह मदद कर सकती है, यह बताएँ.
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