कितना
कारगर होगा फ्लोराइड से मुक्ति दिलाने का प्रयास
कुमार कृष्णन
देश
के 20 राज्यों के 2.5 करोड़ लोगों के फ्लोरोसिस एवं अन्य जल विषाक्तता से जुड़ी बीमारी
से ग्रस्त होने की खबरों के बीच सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस दिशा में सुदूर इलाकों
पर केंद्रित नीति बनाने एवं जनभागीदारी के साथ जमीनी स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन
की जरूरत बतायी है। भूजल को सुरक्षित एवं संरक्षित करने की जिम्मेदारी सरकार और आम
जनता दोनों की साझा तौर पर है। देखा जाए तो इन समस्याओं को बढ़ाने में जितना जिम्मेदार सरकारी तंत्र है उतना
ही जनता। मध्यप्रदेश, बिहार,
पश्चिम बंगाल में इस विषय पर अध्ययन करने
वाले सेंटर फार लीगल एड, रिसर्च
एंड ट्रेनिंग और सह्रस्त्रधारा के अध्ययन में कहा गया है कि इन प्रदेशों के कई क्षेत्रों
में फ्लोराइड की मात्रा 1.24 पीपीएम से 7.38 पीपीएम तक पाई गई है जो सामान्य स्तर
1.5 पीपीएमी से बहुत ज्यादा है।
बिहार
के मुंगेर जिला मे हवेली खड़गपुर प्रखंड के
अंतर्गत एक खैरा गांव है । यह ऐसा गांव है, जहां कई कुंवारों की शादी नहीं हो रही है
और ना ही इस गांव की लड़कियों से कोई शादी कर रहा है। कारण है यहां का पानी। यहां का
दूषित पानी पीने से समय से पहले ही लोग बूढ़े होने लगते हैं। लोगों के दांत झड़ने लगते
है, बाल सफेद हो जाते है,
छोटी उम्र में बच्चों के दांत पीले पड़ने
लगते है और 40 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते लोग बूढ़े नजर आने लगते हैं। इसको देखते
हुए इस गांव में शादी नहीं हो रही हैं। यह गांव जो 1998 में चर्चा में आया जब खैरा
गांव के राम नरेश शर्मा 1996 में बीमार पड़ने के बाद दिल्ली एम्स में इलाज के लिए भर्ती
हुए थे। दिल्ली आयुर्विज्ञान संस्थान ने मुंगेर के जिला पदाधिकारी को पत्र लिखकर सूचित
किया था कि राम नरेश शर्मा को फ्लोरोसिस नामक बीमारी है।
फ्लोरोसिस
नामक बीमारी फ्लोराइड युक्त पानी पीने से होता है जिससे मानव शरीर विकलांगता की ओर
अग्रसर हो जाता है। एम्स के डॉक्टरों के पत्र पर डॉक्टरों की टीम ने खैरा गांव का सर्वे
किया तो पाया के खैरा गांव के 90 प्रतिशत लोग फ्लोरोसिस नामक बीमारी से ग्रसित हैं,
और यहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा 5 से 10 पीपीएम है। खैरा ग्राम वासियों को
शुद्ध पेयजल प्राप्त हो राज्य सरकार 1998 से तत्पर है।सर्वप्रथम खैरा गांव में ही एक
सरफेस बोरिंग कराया गया लेकिन वह सफल नहीं रहा। बाद में वहां के चापानल में पानी शुद्ध
करने के लिए केमिकल सि लेंडर लगाए गए। इसके अलावा सोलर ट्रीटमेंट प्लांट, जलमीनार, पेयजल एटीएम कई कदम उठाए गए लेकिन समस्या
कम न हो सका। 5 जून 2010 को मुख्यमंत्री विश्वास यात्रा के दौरान खैरा गांव पहुंचे
और यहां के निवासियों की समस्याओं से अवगत होकर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने हेतु खड़गपुर
झील से खैरा गांव तक शुद्ध पेयजल लाने के लिए 32 करोड़ रुपए की योजनाओं का शिलान्यास
किया। 30 मई को मुख्यमंत्री खड़गपुर झील से पाइपलाइन के माध्यम से खैरा गांव के हर
घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजनाओं का उद्घाटन किया। इसके बाद भी खैरा वासियों
की समस्याएं कम होने वाली नहीं है।हालांकि अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि आज
से सात साल पहले अपने विश्वास यात्रा के दौरान खैरा आया था। खैरा ग्राम में कार्यक्रम
इसलिये रखा गया था कि यहाॅ का टोला फ्लोराइड प्रभावित था और लोगों को फ्लोराइसिस बीमारी
के कारण जीवन कष्टमय था। जो दृष्य मैंने वहाॅ देखा, उससे हृदय मेरा द्रवित हो गया। वहाॅ पचास
से साठ लोग इस बीमारी से पीड़ित थे, उनका
स्वास्थ्य गिरता जा रहा था और वे लोग लेटे हुये थे। वहाॅ के लोगों ने मुझसे कहा कि
आप कुछ कीजिये और आप ही कुछ कर सकते हैं, उस समय मेरे साथ तत्कालीन मुख्य सचिव श्री अनूप मुखर्जी और तत्कालीन
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के सचिव उपस्थित थे। मैंने अधिकारियों से कहा कि इस
समस्या का हल निकलना चाहिये। फ्लोराइड प्रभावित इलाका है। मैंने वहाॅ देखा कि स्कूल
में एक चापाकल लगा हुआ था, उसमें
फ्लोराइड हटाने का मिडियम लगा हुआ था। मैंने देखा कि बच्चे कभी उस फ्लोराइडयुक्त मिडियम
से पानी पी रहे हैं और कभी सीधे पानी पी रहे हैं। बच्चों के लिये भी यह एक गंभीर समस्या
हो सकती थी। मैंने उस मामले का अध्ययन किया और राय ली। खड़गपुर झील में जो पानी है,
उसके गुणवता में कोई कमी नहीं है। उस पानी
में फ्लोराइड और आर्सेनिक नहीं है। मैंने निर्देश दिया कि उसे पीने योग्य बनाकर तथा
पानी का ट्रिटमेंट कराकर जलापूर्ति कीजिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम खैरा के फ्लोरिसिस
से ग्रस्त उन लोगों को बचा नहीं पाये, इसका मुझे अफसोस होता है। उन्होंने कहा कि काम करने के क्रम में
कहीं न कहीं कमी रह जाती है। पहले वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा अनापत्ति में देरी
हुई, फिर जलापूर्ति योजना का
टेंडर किया गया। निविदादाता ने काम पूरा नहीं किया, फिर दूसरे को टेंडर दिया गया और अंततः कार्य
पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि जब मुझे बताया गया कि काम पूरा हो गय है तो मैंने पूछा कि
सारे गाॅव में शुद्ध पानी पहुॅच रहा है अथवा नहीं तो लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग
के लोगों ने बताया कि सारे गाॅव में शुद्ध पानी जा रहा है और सारे लोग शुद्ध पानी का
उपयोग कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मुझे पूरी तसल्ली और
संतोष मिला है। थोड़ी देर से ही सही अंततोगत्वा सफलता मिली और कई तरह की बाधाओं के बाद
काम पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि खड़गपुर झील पर मैंने इस ट्रिटमेंट प्लांट के हर पहलू
को देखा है। उन्होंने कहा कि ढ़ाई लाख गैलन का मास्टर जलमीनार बना है और इसके तीन अन्य
जलमीनार भी बने हैं। आज सभी घरों में निर्बाध पानी की आपूर्ति की जा रही है। आप निश्चित
होकर शुद्ध पानी पीजिये और अन्य कार्यों में भी पानी का उपयोग कीजिये। उन्होंने कहा
कि सात निश्चय के अन्तर्गत हर घर नल का जल पहुॅचाया जायेगा। उन्होंने कहा कि भोजपुर
भी आर्सेनिक प्रभावित जिला था और वहाॅ भी जलापूर्ति की योजनायें बनी तथा शुद्ध पानी
पहुॅचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सात निश्चय का यह अंग है कि बिहार के हर घर में
नल का जल उपलब्ध करायेंगे। उन्होंने कहा कि गुणवता प्रभावित इलाकों में लोक स्वास्थ्य
अभियंत्रण विभाग द्वारा कार्य कराया जायेगा और गैर गुणवता प्रभावित इलाकों में पंचायतों
द्वारा विकेन्द्रिकृत तरीकों से कार्य कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि नगर निकाय क्षेत्रों
में नगर विकास विभाग द्वारा इस योजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा
कि निश्चय यात्रा के दौरान हमने इस कार्य का निरीक्षण भी किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने निर्देश दिया है
कि खैरा बहुग्रामीय जलापूर्ति योजना के संधारण का कार्य नियमित एवं सुचारू रूप से चलना
चाहिये। उन्होंने खैरा ग्राम के उनलोगों के प्रति गहरा अफसोस व्यक्त किया कि जो दुनिया
छोड़कर चले गये हैं, उनके
प्रति उन्होंने श्रद्धांजलि व्यक्त की और उनके परिजनों के प्रति सांत्वना भी व्यक्त
की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब आज सड़क मार्ग से खैरा
गाॅव आये तो मुख्य सड़क का रास्ता ठीक नहीं लगा। ग्रामीण कार्य मंत्री यहीं पर हैं और
ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव जो लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के भी सचिव हैं,
यहाॅ मौजूद हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे
मुख्य सड़क से गाॅव की सड़क महीना भर के अंदर ठीक करा दें। उन्होंने ग्रामीण कार्य विभाग
के सचिव से पूछा कि क्या एक महीना में ठीक कर पायेंगे अथवा नहीं। ग्रामीण कार्य विभाग
के सचिव ने आश्वस्त किया कि एक महीने के अंदर मुख्य सड़क से गाॅव की सड़क ठीक करा देंगे।
बिहार
सरकार की हर घर नल का जल योजना के तहत घरों में पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके
लिये तैयारी चल रही है। इतना ही नहीं इन टोलों में ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर पानी को
शुद्ध कर पहुँचाया जाएगा।
मुख्यमंत्री
का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। कारण राजनीतिक भी है।यदि यह सच नहीं रहता तो आधे— अधूरे
हाल में उद्घाटन नहीं कराया गया होता। इस सच्चाई को वयां करती हुई पूनम देवी कहती है
कि—'एक्कौ चुल्लू पानी नैय छै आरो नीतीश कुमार
उद्घाटन करेलों अइलो छैय। खाली पाईप खड़ा करि देलौ छैय।'नारायण मंडल का कहना कि उनके घर में नल का
कनेक्शन भी नहीं लगा है।रमेश चंद्र सिंह का कहना कि सौ घरों में कनेक्शन ही नहीं लगा
है।
पीएचईडी
ने राज्य के 11 जिलों के फ्लोराइड टोलों का सर्वे कर दूसरे फेज में चार सौ टोलों को
चिन्हित कर रखा है।इन चार सौ टोलों में पाइप से पहुँचाने पर लगभग दो सौ करोड़ खर्च
होंगे। टेंडर में सफल एजेंसी को एक साल में पाइप बिछाकर घर-घर जलापूर्ति का काम पूरा
करना है। एजेंसी को डिजाइन के अलावा निर्माण, आपूर्ति व चालू करने के साथ पाँच साल तक
उसका रख-रखाव भी करना है। पहले भी इन टोलों में पाइप बिछाने के काम को 2016 के नवम्बर
माह में टेंडर निकाला गया था। लेकिन तकनीकी गड़बड़ी को लेकर दोबारा टेंडर निकाला गया।दूसरे
चरण में फ्लोराइड से प्रभावित 11 जिले में चार सौ टोलों में लघु जलापूर्ति योजना के
तहत काम होना है। फ्लोराइड प्रभावित नालंदा में 25, गया में 25, औरंगाबाद में पाँच, रोहतास में 10, कैमूर में 15, नवादा में 20, भागलपुर में 50, बांका में 100, मुंगेर में 25, शेखपुरा में 25 व जमुई में 100 टोलों में
पाइप के द्वारा घरों में पानी पहुँचेगा। घरों में शुद्ध पानी पहुँचाने के लिये सौर
प्लांट लगेगा।
जिलाधिकारी
उदय कुमार सिंह का दावा है कि खैरा गांव में शुद्ध पेयजल के लिए बड़े स्तर पर व्यवस्था
का नतीजा है इस योजना का उद्घाटन। इसके पहले भी इस गांव में हर रोज 32 हजार लीटर शुद्ध
पेयजल की आवश्यकता है। जिला अधिकारी ने कहा जिस जलपूर्ति योजना का खैरा गांव में काम
दिया गया था और समय से पूरा नहीं किए जाने के कारण इस काम में लगी दो कम्पनी जिन्दल
और पुंजलाइट कम्पनी को पीएचडी विभाग द्वारा ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया।
सरकार
के मुखिया और प्रशासनिक अधिकारी इस योजना का शुभारंभ कर अपनी पीठ जरूर थपथपा रहे हैं।
लेकिन भूगर्भ बैज्ञानिक मानते हैं कि यहां
के लोगों की समस्याएं तब दूर होगी जब बंगरा, डंगरी, डोरी नदी जो तीन मुहाने में मिलती है,
चेक डैम का निर्माण किया जाए। जिससे पहाड़ों
से उतरने वाली झरने का पानी रुकेगा जिसमें एक ओर जल स्तर ऊंचा होगा और पानी का बहाव
के कारण भूगर्भ में अर्सैनिक एवं फ्लोराइड की मात्रा घटेगी। फलस्वरुप सिंचाई का सुलभ
साधन मुहैया होगा और फसल गेहूं चावल दाल सब्जी एवं पशुओं के दूध में फ्लोराइड की मात्रा
घटेगी। एक अधिकारी ने तो कहा कि सिंचाई योजना का पानी गांव में दिया जा रहा है। अभी
भी पानी कम है। आनेवाले समय में क्या होगा?इसमें संदेह है।
मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार विश्वास यात्रा के बाद विजय शाह 52 वर्ष, सुमित यादव 65 वर्ष, उमेश शाह 55 वर्ष, अनीता देवी 45 वर्ष, महेश्वर मंडल 50 वर्ष, चमेली देवी 50 वर्ष, सुखिया देवी 50 वर्ष, बागेश्वरी देवी 40 वर्ष, भागो सिंह 50 वर्ष, मौली यादव 35 वर्ष राजपाल यादव 45 वर्ष की
मृत्यु हो चुकी है।खैरा गांव में अभी कई लोग हैं जो विकलांगता की शिकार होकर जीवन मृत्यु
से लड़ रहे हैं इसमें किरानी यादव 40 वर्ष, इंद्र देव मंडल 42 वर्ष, कैलाश पति शर्मा 60 वर्ष, जगदंबा देवी 55 वर्ष, सुभद्रा देवी 60 वर्ष, दिनेश मंडल, कारे काल दास, रामदेव मांझी आदि शामिल है।फ्लोरोसिस के
कारण गांव के बूढ़े, बच्चे
,जवानों की हड्डियां मुड़
गयी है। हड्ड़ियों में जकड़न के कारण इस बीमारी से जूझ रहे लोगों का उठना बैठना भी
मुश्किल हो गया है।
विशेषज्ञ
मानते कि वैकल्पिक पेयजल स्रोत को अपनाना चाहिए जिसमें वर्षाजल का संरक्षित उपयोग,
कम फ्लोराइड (मानक सीमा के भीतर) या फ्लोराइड
फ्री भूजल स्रोत तथा नदी, तालाबों,
झीलों इत्यादि के जल को शुद्ध करके पीने
के उपयोग में लाना चाहिए।
ऐसी भोजन व्यवस्था अपनानी चाहिए जिसके अवयवों में
कैल्शियम की मात्रा प्रचुरता से उपलब्ध हो सके। क्योंकि यह देखा गया है कि इस तरह दन्त
फ्लोरोसिस के आक्रमण को कम किया जा सकता है। विटामिन ‘सी’
की मात्रा भी फ्लोरोसिस से लड़ने में सहायक
सिद्ध हुई है।पेयजल में घुलनशील फ्लोराइड को हटाने के लिये विभिन्न तकनीकों को अपनाना
चाहिए। इनमें सबसे आसान, प्रभावी
और प्रचलन में नालगोंडा तकनीक है इसमें फिटकरी ब्लीचिंग पाऊडर और चूने को उपयोग में लाकर फ्लोराइड को हटाया जा सकता है।आज
जहाँ चारों ओर पोलियो और एड्स की गम्भीरता और आयोडीन युक्त नमक के उपयोग के प्रति जन
साधारण को जागृत करने के प्रयास हो रहे हैं उसी प्रकार फ्लोरोसिस सम्बन्धी जानकारी
को भी लोगों तक पहुँचाना आवश्यक है। जल का दोहन तो हो रहा है लेकिन संरक्षण के प्रयास
कारगर नहीं हैं। सबलोग के जून 2017 में प्रकाशित
लेखक स्वतन्त्र पत्रकार हैं.
kkrisnanang@gmail.com +919304706646
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